top of page
Search

विवाह का समय: वैदिक ज्योतिष में विवाह की भविष्यवाणी के लिए दशा और गोचर को समझना

  • Writer: Dr. Vinay Bajrangi
    Dr. Vinay Bajrangi
  • 2 days ago
  • 3 min read

Know Your Marriage Timing
Know Your Marriage Timing

विवाह हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ होता है, और भारतीय वैदिक ज्योतिष में इसका विश्लेषण अत्यंत गहराई से किया जाता है। जब कोई जातक यह जानना चाहता है कि उसका विवाह कब होगा, तो वैदिक ज्योतिष दो प्रमुख घटकों का विश्लेषण करता है — दशा (Mahadasha/Antardasha) और गोचर (Transit)


इन दोनों का सम्मिलित अध्ययन किसी भी जातक की कुंडली में विवाह के संभावित समय की सटीक भविष्यवाणी करने में सहायता करता है। तो आइए विस्तार से समझते हैं कि वैदिक ज्योतिष में विवाह की भविष्यवाणी कैसे की जाती है।


1. दशा का महत्व (Importance of Dasha in Marriage Prediction)

दशा का तात्पर्य है ग्रहों की समयानुसार स्थिति और उनका जातक के जीवन पर प्रभाव। प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में एक महादशा और उसकी अंतर्दशाएं चलती हैं, जो उसके जीवन की घटनाओं को प्रभावित करती हैं।


विवाह के लिए अनुकूल दशाएं:

· शुक्र की दशा: शुक्र प्रेम, आकर्षण, और विवाह का कारक ग्रह माना जाता है। जब किसी जातक की कुंडली में शुक्र की महादशा या अंतर्दशा चल रही होती है, और वह शुभ स्थिति में होता है, तब विवाह की संभावना प्रबल हो जाती है।

· सप्तमेश की दशा: सप्तम भाव (सातवां भाव) विवाह का मुख्य भाव होता है। जब सप्तम भाव का स्वामी ग्रह या उसमें स्थित ग्रह की दशा आती है, तो विवाह का योग बन सकता है।

· गुरु की दशा: गुरु भी शुभ और विवाहकारक ग्रहों में आता है, विशेषतः कन्या और महिला जातकों की कुंडली में। गुरु की दशा आने पर विवाह के योग बनते हैं।

· चंद्र की दशा: चंद्रमा भावनाओं और मानसिक स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी दशा में भी भावनात्मक स्थिरता और पारिवारिक जीवन में रुचि बढ़ती है।


दशा से कैसे विवाह का समय निकाला जाए?


1. देखें कि किस ग्रह की दशा चल रही है।

2. उस ग्रह का विवाह से संबंधित भावों से क्या संबंध है — विशेषकर सप्तम, द्वितीय और एकादश भाव।

3. क्या वह ग्रह शुभ है, और क्या वह अपनी मित्र राशि में स्थित है?

4. अगर इन सभी का उत्तर ‘हाँ’ है, तो विवाह का योग निश्चित रूप से बनता है।

2. गोचर का प्रभाव (Role of Transit in Timing Marriage)

गोचर या ट्रांजिट, वर्तमान समय में ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है। यह दशा को ट्रिगर करता है और जीवन की घटनाओं को वास्तविकता में लाता है।


विवाह के लिए प्रमुख गोचर:

· गुरु (बृहस्पति) का गोचर:

o गुरु जब सप्तम, द्वितीय या नवम भाव से गोचर करता है, तब विवाह का अनुकूल समय होता है।

o गुरु का लग्न, पंचम या नवम भाव से भी संबंध बनाना विवाह के योग को प्रबल करता है।

· शुक्र का गोचर:

o शुक्र जब चंद्र राशि से सप्तम, द्वितीय, या पंचम भाव में गोचर करता है, तब आकर्षण और प्रेम की भावना बढ़ती है।

· शनि का गोचर:

o शनि का गोचर कभी–कभी विवाह में देरी करता है, लेकिन जब वह विवाह कारक भावों पर शुभ दृष्टि डालता है, तब वह स्थाई और परिपक्व संबंधों का योग बनाता है।


गोचर से कैसे विवाह का समय तय करें?

1. वर्तमान गोचर में गुरु और शुक्र की स्थिति को देखें।

2. वह चंद्र राशि से कौन से भावों में गोचर कर रहे हैं?

3. क्या यह गोचर दशा से मेल खा रहा है?

अगर दशा और गोचर दोनों मिलकर विवाह के संकेत दे रहे हों, तो यह निश्चित माना जाता है कि विवाह निकट है।



3. विवाह के अन्य योग

विवाह की भविष्यवाणी करते समय निम्न बातों का भी ध्यान रखा जाता है:

· सप्तम भाव में ग्रहों की स्थिति — कोई पाप ग्रह (जैसे राहु, केतु, शनि) सप्तम भाव में हो तो विवाह में देरी या बाधा हो सकती है।

· चंद्र कुंडली का विश्लेषण — लग्न के साथ–साथ चंद्र कुंडली में सप्तम भाव और उसके स्वामी को भी देखना चाहिए।

· द्वितीय और एकादश भाव — ये भाव भी परिवार और सामाजिक रिश्तों को दर्शाते हैं, जिससे विवाह के संकेत मिलते हैं।


निष्कर्ष


विवाह की भविष्यवाणी वैदिक ज्योतिष में एक गूढ़ विज्ञान है, जिसमें दशा और गोचर दोनों का समान महत्व है। एक कुशल ज्योतिषी जब कुंडली/kundali में चल रही दशा और वर्तमान ग्रहों के गोचर का सूक्ष्म अध्ययन करता है, तब वह विवाह के समय की सटीक जानकारी दे सकता है।

यदि आप यह जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में विवाह कब संभव है, तो एक विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श लेकर अपनी दशा और गोचर का विश्लेषण अवश्य करवाएं।


किसी भी विशिष्ट मुद्दे के लिए, मेरे कार्यालय @ +91 9999113366 से संपर्क करें। भगवान आपको एक खुशहाल जीवन आनंद प्रदान करें।


Read more also: Kundali Milan


 
 
 

תגובות


bottom of page