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कुंडली देखने का तरीका, जानें कैसे देखते हैं जन्म कुंडली?

  • Writer: Dr. Vinay Bajrangi
    Dr. Vinay Bajrangi
  • Mar 24
  • 2 min read

how to read kundli in hindi
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ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का विशेष महत्व है। यह जन्म के समय ग्रहों की स्थिति को दर्शाती है, जिससे किसी व्यक्ति के जीवन की दिशा और संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि कुंडली देखने का तरीका क्या है और इसे कैसे समझा जाता है, तो यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित होगा। डॉ. विनय बजरंगी के अनुसार, कुंडली का सही विश्लेषण जीवन की कई उलझनों को सुलझाने में मदद कर सकता है।


कुंडली क्या होती है?


कुंडली/kundali एक ज्योतिषीय चार्ट होता है, जो व्यक्ति के जन्म समय और स्थान के आधार पर तैयार किया जाता है। इसे जन्म पत्रिका या होरोस्कोप भी कहा जाता है। कुंडली में 12 भाव (हाउस) और 9 ग्रह होते हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं।


कुंडली देखने के लिए आवश्यक जानकारी


कुंडली बनाने और देखने के लिए निम्नलिखित जानकारियां आवश्यक होती हैं:

· जन्म तिथि

· जन्म समय

· जन्म स्थान


इन जानकारियों के आधार पर कुंडली का सटीक निर्माण किया जाता है।


कुंडली के 12 भाव और उनका महत्व


हर कुंडली में 12 भाव होते हैं, और प्रत्येक भाव जीवन के एक विशेष क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।

1. प्रथम भाव (लग्न भाव) — व्यक्तित्व और आत्म–छवि

2. द्वितीय भाव — धन, परिवार और वाणी

3. तृतीय भाव — साहस, भाई–बहन और संचार

4. चतुर्थ भाव — माता, घर और सुख

5. पंचम भाव — शिक्षा, संतान और प्रेम संबंध

6. षष्ठ भाव — रोग, ऋण और शत्रु

7. सप्तम भाव — विवाह और साझेदारी

8. अष्टम भाव — आयु, रहस्य और दुर्घटनाएं

9. नवम भाव — धर्म, भाग्य और आध्यात्म

10. दशम भाव — करियर और पेशा

11. एकादश भाव — आय और लाभ

12. द्वादश भाव — हानि, व्यय और मोक्ष


ग्रहों की भूमिका


जन्म कुंडली में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु ये 9 ग्रह होते हैं। हर ग्रह एक विशेष ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है और उसका प्रभाव संबंधित भाव पर पड़ता है।


कुंडली देखने का तरीका


1. लग्न निर्धारित करें: सबसे पहले कुंडली में लग्न को देखें, क्योंकि यह व्यक्ति के मूल स्वभाव और जीवन की दिशा को दर्शाता है।

2. ग्रहों की स्थिति: हर ग्रह किस भाव में स्थित है और उनकी दृष्टि किस भाव पर पड़ रही है, इसका आकलन करें।

3. भावों का विश्लेषण: हर भाव में उपस्थित ग्रह और उनकी स्थिति को ध्यान में रखकर जीवन के विभिन्न पहलुओं की भविष्यवाणी की जाती है।

4. दशा और गोचर का अध्ययन: वर्तमान ग्रहों की दशा और गोचर (ट्रांजिट) को देखकर समयानुसार भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है।


कुंडली विश्लेषण में किन बातों का ध्यान रखें?


· ग्रहों की स्थिति और उनकी दृष्टि

· योग और दोष का आकलन

· महादशा और अंतरदशा का प्रभाव

· गोचर में ग्रहों की चाल


निष्कर्ष


कुंडली देखने का तरीका जानना न केवल ज्योतिष में रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी है, बल्कि यह जीवन में बेहतर निर्णय लेने में भी सहायक हो सकता है। यदि आप अपनी कुंडली का सटीक विश्लेषण करवाना चाहते हैं, तो डॉ. विनय बजरंगी जैसे अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श कर सकते हैं।


किसी भी विशिष्ट मुद्दे के लिए, मेरे कार्यालय @ +91 9999113366 से संपर्क करें। भगवान आपको एक खुशहाल जीवन आनंद प्रदान करें।



 
 
 

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