कुंडली के अनुसार अपने विवाह के समय की पहचान कैसे करें?
- Dr. Vinay Bajrangi
- 3 days ago
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हर व्यक्ति के जीवन में विवाह एक अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ होता है। लेकिन कई बार यह जानना मुश्किल हो जाता है कि शादी कब होगी, कौन–सा समय उपयुक्त रहेगा और क्या उसमें कोई विवाह में देरी का योग तो नहीं है। ऐसे में कुंडली के अनुसार विवाह का समय जानना बेहद लाभकारी साबित हो सकता है।
Dr. Vinay Bajrangi, एक प्रसिद्ध वैदिक ज्योतिषाचार्य, बताते हैं कि आपकी जन्म कुंडली में ही छिपा होता है आपके विवाह का समय, कारण और दिशा।
विवाह से संबंधित ग्रह और भाव
विवाह के ज्योतिषीय संकेत कुंडली में मुख्य रूप से निम्न भावों और ग्रहों से मिलते हैं:
· सप्तम भाव (7th House): यह भाव सीधा–सीधा विवाह और जीवनसाथी को दर्शाता है।
· द्वितीय भाव (2nd House): यह भाव परिवार और वैवाहिक जीवन के स्थायित्व से जुड़ा है।
· एकादश भाव (11th House): यह इच्छाओं की पूर्ति और विवाह की संभावनाओं से जुड़ा होता है।
यदि इन भावों में शुभ ग्रह स्थित हों, जैसे गुरु (बृहस्पति), शुक्र या चंद्रमा, तो समय पर विवाह होने की संभावना प्रबल होती है। वहीं शनि, राहु, या केतु की अशुभ दृष्टि या उपस्थिति से विवाह में विलंब या विवाह में अड़चनें उत्पन्न होती हैं।
कुंडली से विवाह का समय कैसे जानें?
विवाह का समय जानने के लिए कुंडली विश्लेषण में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक होता है:
1. दशा और अंतरदशा प्रणाली — अगर आपकी दशा किसी शुभ ग्रह जैसे शुक्र (स्त्री के लिए) या गुरु (पुरुष के लिए) की चल रही है और वो सप्तम भाव से संबंध रखते हैं, तो यह विवाह का अनुकूल समय माना जाता है।
2. गोचर (Transit) — अगर बृहस्पति या शनि का गोचर सप्तम भाव या इसके स्वामी पर हो, तो विवाह की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं।
3. योग और दोष — आपकी कुंडली में यदि मांगलिक दोष, ग्रहण योग, या कुंभ विवाह योग जैसे विशेष योग हैं, तो विवाह में बाधा आ सकती है।
Dr. Vinay Bajrangi के अनुसार, हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है, इसलिए विवाह के लिए शुभ समय जानने के लिए व्यक्तिगत कुंडली विश्लेषण अनिवार्य होता है।
विवाह में देरी के कारण
कई बार विवाह में देरी हो जाती है। इसके पीछे कई ज्योतिषीय कारण हो सकते हैं:
· मांगलिक दोष: मंगल की अशुभ स्थिति।
· शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या।
· गुरु या शुक्र की नीच स्थिति।
· सप्तम भाव का कमजोर या पीड़ित होना।
इन सभी कारणों की पहचान कर सही उपाय करने से विवाह शीघ्र हो सकता है।
विवाह समय से जुड़ी ज्योतिषीय उपाय
यदि आपकी कुंडली में विवाह में बाधा के योग हैं, तो निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
· मांगलिक दोष निवारण पूजा।
· सप्तम भाव की शांति हेतु विशेष मंत्र जाप।
· गुरुवार का व्रत या कन्याओं को भोजन कराना।
· शुक्र मंत्र या गुरु मंत्र का नियमित जाप।
Dr. Vinay Bajrangi के अनुसार, यह सभी उपाय तभी कारगर होंगे जब वे आपकी कुंडली के आधार पर सुझाए गए हों। व्यक्तिगत परामर्श अत्यंत आवश्यक होता है।
FAQs — कुंडली के अनुसार विवाह का समय
प्र.1: क्या कुंडली से विवाह की सही तारीख पता चल सकती है?
हाँ, कुंडली से दशा, गोचर और योगों के आधार पर विवाह की संभावित समय सीमा पता की जा सकती है।
प्र.2: अगर मेरी शादी में देरी हो रही है तो क्या इसका कारण कुंडली में हो सकता है?
जी हाँ, मांगलिक दोष, सप्तम भाव की कमजोरी, या शनि–राहु की दशा जैसे कई कारण विवाह में देरी कर सकते हैं।
प्र.3: क्या कोई विशेष ग्रह शादी के लिए जिम्मेदार होता है?
शुक्र (स्त्रियों के लिए) और गुरु (पुरुषों के लिए) मुख्य ग्रह माने जाते हैं जो विवाह योग बनाते हैं।
प्र.4: क्या ज्योतिषीय उपायों से मेरी शादी जल्दी हो सकती है?
यदि उपाय आपकी व्यक्तिगत कुंडली के अनुसार किए जाएं, तो हाँ, इससे विवाह की राह आसान हो सकती है।
प्र.5: Dr. Vinay Bajrangi से विवाह का समय कैसे जानें?
आप उनकी वेबसाइट या व्यक्तिगत परामर्श के माध्यम से अपनी कुंडली दिखाकर शादी का सही समय और उपाय जान सकते हैं।
यदि आप भी जानना चाहते हैं कि आपकी शादी कब होगी, किससे होगी और किन उपायों से इसे सरल बनाया जा सकता है, तो Dr. Vinay Bajrangi से संपर्क करें और अपनी कुंडली का गहराई से विश्लेषण करवाएं।
किसी भी विशिष्ट मुद्दे के लिए, मेरे कार्यालय @ +91 9999113366 से संपर्क करें। भगवान आपको एक खुशहाल जीवन आनंद प्रदान करें।
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