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पत्नी की कुंडली का पति की कुंडली पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • Writer: Dr. Vinay Bajrangi
    Dr. Vinay Bajrangi
  • Apr 4
  • 4 min read

patni ki kundli ka pati ki kundli par kya prabhav padta hai
patni ki kundli ka pati ki kundli par kya prabhav padta hai

वैदिक ज्योतिष में पति–पत्नी के संबंधों की गुणवत्ता को समझने के लिए दोनों की कुंडलियों का विश्लेषण महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेष रूप से, पत्नी की कुंडली में स्थित ग्रहों और योगों का पति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव पति के करियर, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति और मानसिक संतुलन तक विस्तृत हो सकता है। इस लेख में डॉ. विनय बजरंगी आपको बताते हैं कि पत्नी की कुंडली के कौन–कौन से तत्व पति के जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं और इन प्रभावों को संतुलित करने के लिए कौन से उपाय किए जा सकते हैं।


पत्नी की कुंडली में महत्वपूर्ण ग्रह और उनके प्रभाव


1. सप्तम भाव (सातवां घर): यह घर विवाह और जीवनसाथी से संबंधित होता है। यदि पत्नी की कुंडली में सप्तम भाव में शुभ ग्रह स्थित हों या इस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो यह पति के जीवन में सकारात्मकता और सफलता लाने में सहायक होता है। इसके विपरीत, यदि सप्तम भाव में अशुभ ग्रह या पाप ग्रहों की दृष्टि हो, तो यह वैवाहिक जीवन में तनाव और संघर्ष का संकेत दे सकता है।

2. बृहस्पति (गुरु): पत्नी की कुंडली में बृहस्पति को पति का कारक ग्रह माना जाता है। यदि बृहस्पति शुभ स्थिति में हो, तो यह पति के जीवन में समृद्धि, स्थिरता और सफलता लाता है। इसके विपरीत, बृहस्पति की अशुभ स्थिति पति के करियर और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है。

3. मंगल ग्रह: मंगल ऊर्जा और साहस का प्रतीक है। यदि पत्नी की कुंडली में मंगल शुभ स्थिति में हो, तो यह पति को ऊर्जा और साहस प्रदान करता है। लेकिन यदि मंगल दोष (मांगलिक दोष) की स्थिति हो, तो यह वैवाहिक जीवन में तनाव और संघर्ष की संभावना बढ़ा सकता है。

4. सूर्य ग्रह: पत्नी की कुंडली में सूर्य की कमजोर स्थिति पति के करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। सूर्य आत्मविश्वास और नेतृत्व का प्रतीक है; इसकी दुर्बलता से पति के आत्मविश्वास में कमी आ सकती है。

5. शुक्र ग्रह: शुक्र प्रेम, आकर्षण और वैवाहिक सुख का कारक ग्रह है। पत्नी की कुंडली में शुक्र की स्थिति वैवाहिक जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। यदि शुक्र शुभ स्थिति में हो, तो दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है; अन्यथा, वैवाहिक जीवन में असंतोष और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं |



पति की कुंडली पर प्रभाव


पत्नी की कुंडली में उपरोक्त ग्रहों की स्थिति सीधे तौर पर पति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती है:


· करियर और व्यवसाय: यदि पत्नी की कुंडली में बृहस्पति और सूर्य शुभ स्थिति में हों, तो यह पति की कुंडली में करियर उन्नति और सफलता का संकेत देता है। इसके विपरीत, इन ग्रहों की अशुभ स्थिति पति के पेशेवर जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर सकती है。

· स्वास्थ्य: पत्नी की कुंडली में मंगल और सूर्य की स्थिति पति के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है। मंगल की अशुभ स्थिति पति के लिए शारीरिक चोटों या कुंडली में स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत दे सकती है।

· आर्थिक स्थिति: बृहस्पति और शुक्र की शुभ स्थिति पति के आर्थिक समृद्धि में योगदान देती है, जबकि इनकी अशुभ स्थिति आर्थिक कठिनाइयों का कारण बन सकती है |

· मानसिक संतुलन: चंद्रमा और बुध ग्रह मानसिक स्थिति के कारक हैं। पत्नी की कुंडली में इन ग्रहों की स्थिति पति के मानसिक संतुलन और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है|


वैवाहिक जीवन में सामंजस्य के लिए उपाय


यदि पत्नी की कुंडली में कुछ ग्रह अशुभ स्थिति में हों और वे पति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हों, तो निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

· बृहस्पति के लिए: गुरुवार के दिन पीले वस्त्र पहनें, पीले खाद्य पदार्थों का दान करें और बृहस्पति मंत्र का जाप करें।

· मंगल के लिए: मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करें, मसूर दाल का दान करें और मंगल मंत्र का जाप करें。

· सूर्य के लिए: सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य दें, रविवार के दिन गुड़ का दान करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें。

· शुक्र के लिए: शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करें, सफेद वस्त्र और चावल का दान करें और शुक्र मंत्र का जाप करें。

· चंद्रमा के लिए: सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करें, सफेद फूल और चावल का दान करें और चंद्रमा मंत्र का जाप करें。


इन उपायों से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है और पति–पत्नी के बीच संबंधों में सुधार लाया जा सकता है।


निष्कर्ष


वैदिक ज्योतिष में पत्नी की कुंडली/kundli का पति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव माना जाता है। ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभावों का सही विश्लेषण करके, वैवाहिक जीवन में आने वाली चुनौतियों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और उचित उपायों के माध्यम से उन्हें संतुलित किया जा सकता है। इसलिए, विवाह से पहले कुंडली मिलान और ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि दांपत्य जीवन सुखमय और संतुलित बना रहे।


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