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Writer's pictureDr. Vinay Bajrangi

जानिए कुंडली द्वारा कब होगी आपकी शादी, क्यों हो रही है देरी और कारण



शादी विवाह जीवन का वह पड़ाव है जहां से जीवन का अलग ही रंग दिखाई देने लगता है. शादी विवाह को लेकर हम सभी लोग काफी भागदौड़ भी करते हैं एक अच्छे रिश्ते की तलाश सभी को रहती है. ऎसे में विवाह ज्योतिष इस में हमारी बहुत मदद कर सकता है. विवाह ज्योतिष के द्वारा पता लगाया जा सकता है की शादी के लिए सबसे अच्छा समय कब होगा और कब हम अपने सोलमेट को पाने में सफल होंगे. 

 

किसी व्यक्ति की शादी कब होगी यह कोई ऐसी स्थिति नहीं जिसे हम सही से नहीं जान सकते हैं हमें बस आवश्यकता होती है एक सही मार्गदर्शन की जिसे अधिकांश लोग ले नहीं पाते हैं. शादी से जुड़े हर प्रश्न का उत्तर आपकी ही जन्म कुंडली में छुपा होता है, इसी कारण से इसके लिए विवाह ज्योतिष की भूमिका को गहनता से जान लेना बहुत जरूरी है और साथ ही एक योग्य ज्योतिषी की मदद लेना भी बहुत आवश्यक होता है. 

 

कुंडली के उचित विश्लेषण से ही आप अपनी शादी का निर्णय नहीं ले सकते हैं. आपके लिए जरूरी है कि आप अपनी कुंडली को अच्छे से जानें. आपकी कुंडली का हर भाव आपके विवाह के सुख को दिखाने वाला होता है. वहीं इनमें से कुछ भाव ऎसे हैं जो आपके विवाह के समय को बताने वाले होते हैं. तो चलिये आइये जान लेते हैं वह कुछ बातें जो बताती हैं कि आखिर शादी कब हो सकती है, विवाह में दिक्कत, देरी, परेशानी जैसी बातों के कारण क्या हैं :-

 

शादी में देरी के क्या कारण हैं?

 

कई बार रिश्ते की खोज में लगातार मिलने वाली निराशा इतना परेशान कर देती है कि यह सब बहुत ही थका देने वाला और निराशाजनक भी बन जाता है. ऐसे में मन में प्रश्न उठ सकता है कि आखिर शादी में देरी के क्या कारण हैं?, तो इस बात को आपकी कुंडली स्पष्ट रूप से बताती है. कुंडली में सातवां भाव विवाह का घर कहलाता है. जीवन साथी कैसा होगा इसकी जानकारी के लिए सप्तम भाव का सूक्ष्म विश्लेषण बहुत जरुरी होता है. सप्तम भाव का स्वामी, सप्तम भाव के स्वामी पर अन्य ग्रहों का प्रभाव. सातवें भाव पर ग्रहों की दृष्टि, सातवें भाव का स्वामी कुंडली में कहां बैठा हुआ है और वर्ग कुंडली में उसका क्या हाल है. यह बातें जान कर विवाह में देरी का कारण पता लगाया जाता है. 

 

उदाहरण के लिए अगर कुंडली में सातवें भाव का स्वामी आठवें भाव में बैठ जाए, बारहवें भाव छठे भाव या दूसरे भाव में चला जाए. इसी के साथ अष्टम भाव का स्वामी सप्तम भाव के साथ राशि परिवर्तन कर ले या फिर सप्तम भाव में ही बैठ जाए, या फिर शनि ग्रह सातवें भाव को देखता हो या उसमें विराजमान है तो ऎसे कुछ कारण विवाह में देरी के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसी तरह नवम भाव की स्थिति भी देखी जाती है.

 

देर से विवाह के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?

 

विवाह में देरी तो हो रही है जिसे हमने भाव से समझा लेकिन अब बात आती है की आखिर वे कौन से ग्रह हैं जो "देर से विवाह के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?" तो ऐसे में सामान्य रूप सातवें भाव के स्वामी, पाप ग्रहों अथवा क्रूर ग्रहों की भूमिका को अधिक देखा जाता है. अब जब बात आती है इन ग्रहों की कौन है पाप ग्रह और कौन हैं क्रूर ग्रह तो विशेष रूप से शनि, राहु, केतु, मंगल और सूर्य जैसे ग्रहों का नाम इसमें आता है. 

 

अब यहां यह भी समझना जरूरी है कि पाप ग्रह से अर्थ यह नहीं की ये खराब ग्रह हैं बल्कि इनके भीतर जो एक उग्रता या निरसता का गुण होता है वहीं विवाह में देरी के लिए जिम्मेदार बन जाता है, लेकिन इसके अलावा कई बार शुभ ग्रह भी विवाह में देरी/Late Marriage दे जाते हैं इसलिए इस स्थिति में जरूरी है की उचित रूप से कुंडली अनुसार ये देखा जाए की आपकी कुंडली में कौन सा ग्रह विशेष रूप से देर से विवाह के लिए जिम्मेदार बन रहा है.

 

कुंडली में विवाह के योग कब बनते हैं?

 

अब बात आती है कुंडली में विवाह के योग कब बनते हैं? तो इस के लिए कुंडली के बल को देखना जरूरी है, कुंडली में विवाह भाव, विवाह भाव का स्वामी कितना उत्तम है. शुभ ग्रहों का प्रभाव सप्तम भाव को किस तरह से मजबूती दे पा रहा है. अन्य वर्ग चार्ट जैसे कि नवांश कुंडली में ग्रहों की स्थिति सप्तम भाव और लग्न के साथ उसकी स्थिति या लग्न का स्वामी नवांश में कैसे बैठा हुआ है, वर्तमान में चल रही दशा और ग्रहों के गोचर का असर ये सब बातें बताती हैं की आपका विवाह कब होगा. कुंडली/kundli में लग्न, द्वितीय भाव, पंचम भाव, सप्तम भाव, नवम भावों की दशाएं गोचर जैसी स्थितियां विवाह के होने का संकेत देने वाली होती है. कुंडली में आपके जन्म चंद्रमा की स्थिति के साथ दशा गोचर और योग को देखते हुए आपके विवाह होने की भविष्यवाणी की जाती है. 

 

इन कुछ ज्योतिषीय सूत्रों को ध्यान में रख कर अगर हम रिश्तों को जोड़ते हैं. विवाह जैसे महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं तब हम सही अर्थों में शादी का सुख भी पाते हैं, इसलिए एक योग्य ज्योतिषी का मार्गदर्शन लेना अत्यंत आवश्यक होता है जो आपको सही जानकारी दे साथ में जो योग निर्बल बन रहे हैं उन्हें मजबूत करने के विशेष उपाय बताए जिससे आप उस सुख को पाएं जिस पर आपका अधिकार है.

 


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