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कुंडली योग – जाने कुंडली के योग के अनुसार स्वास्थ्य समस्याएँ और धन हानि

  • Writer: Dr. Vinay Bajrangi
    Dr. Vinay Bajrangi
  • Apr 21
  • 3 min read

health and wealth in kundali yoga
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वेदिक ज्योतिष में कुंडली केवल आपके भविष्य का आईना नहीं होती, बल्कि यह आपके जीवन की समस्याओं का कारण और समाधान दोनों प्रस्तुत करती है। विशेष रूप से, कुंडली में बने योग यह संकेत करते हैं कि किसी व्यक्ति को जीवन में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी या आर्थिक हानि कब और क्यों हो सकती है।

इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि कौन–कौन से कुंडली योग स्वास्थ्य और धन हानि से जुड़े होते हैं, और इनसे कैसे बचा जा सकता है।


कुंडली में योग क्या होते हैं?


जब ग्रह एक विशेष स्थिति या संबंध में होते हैं, तो वे कुंडली में एक विशेष “योग” का निर्माण करते हैं। ये योग शुभ भी हो सकते हैं और अशुभ भी। शुभ योग जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और सफलता लाते हैं, वहीं अशुभ योग परेशानी, हानि और रोगों के कारण बनते हैं।


धन हानि से जुड़े अशुभ योग


1. दारिद्र योग (Daridra Yoga)

जब 11वें भाव का स्वामी 6वें, 8वें या 12वें भाव में स्थित हो और लाभ भाव कमजोर हो, तो दारिद्र योग बनता है। यह आर्थिक हानि, कर्ज और आय में रुकावट लाता है।

2. पाप ग्रहों का दूसरे भाव पर प्रभाव

यदि राहु, केतु, शनि या मंगल जैसे ग्रह दूसरे भाव (धन भाव) पर दृष्टि डालें या उसमें स्थित हों, तो व्यक्ति को धन की हानि हो सकती है।

3. शुक्र या बृहस्पति की नीच राशि में स्थिति

शुक्र और गुरु धन से जुड़े ग्रह हैं। यदि ये नीच के हों या शत्रु ग्रहों के साथ हों, तो व्यक्ति को आर्थिक कठिनाइयाँ झेलनी पड़ सकती हैं।



स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े प्रमुख योग


1. अष्टम भाव में पाप ग्रहों की स्थिति

अष्टम भाव आयु और स्वास्थ्य को दर्शाता है। यदि इस भाव में राहु, केतु, शनि या मंगल स्थित हों, तो व्यक्ति को पुरानी बीमारियाँ या आकस्मिक रोगों का सामना करना पड़ सकता है।

2. लग्नेश की कमजोर स्थिति

लग्न का स्वामी (लग्नेश) यदि नीच का हो या छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो, तो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

3. चंद्रमा का अशुभ स्थिति में होना

चंद्रमा मानसिक स्वास्थ्य का कारक होता है। यदि यह राहु या शनि के प्रभाव में हो, तो व्यक्ति को तनाव, अवसाद या अन्य मानसिक समस्याएँ हो सकती हैं।


कुंडली योग का समाधान कैसे करें?


यदि आपकी कुंडली में धन हानि या स्वास्थ्य से जुड़े अशुभ योग हैं, तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। वेदिक ज्योतिष में प्रत्येक समस्या का समाधान भी होता है। कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:


· शुभ ग्रहों की शांति के लिए वैदिक मंत्रों का जाप करें।

· कमजोर ग्रहों को मजबूत करने के लिए रत्न धारण करें (ज्योतिषी की सलाह से)।

· सोमवार को शिवजी का जलाभिषेक और शनिवार को शनि पूजा करें।

· योग्य ज्योतिषाचार्य से कुंडली का विश्लेषण कराएँ और व्यक्तिगत उपाय करें।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)


प्रश्न 1: कुंडली में कौन से योग धन हानि का संकेत देते हैं?

उत्तर:कुंडली में दारिद्र योग, पाप ग्रहों का दूसरे भाव पर प्रभाव, और शुक्र या बृहस्पति की कमजोर स्थिति धन हानि के प्रमुख योग माने जाते हैं। जब लाभ भाव कमजोर हो या लाभेश पाप प्रभाव में हो, तो व्यक्ति को आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ सकती है।


प्रश्न 2: क्या कुंडली से स्वास्थ्य की समस्याओं का पता चलता है?

उत्तर:हाँ, कुंडली में अष्टम भाव, छठा भाव और लग्न भाव का विश्लेषण करने से स्वास्थ्य संबंधी संभावनाओं का अनुमान लगाया जा सकता है। पाप ग्रहों की इन भावों में स्थिति गंभीर रोगों की ओर इशारा करती है। read more ज्योतिष में स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान


प्रश्न 3: क्या कुंडली के अशुभ योगों का समाधान संभव है?

उत्तर:जी हाँ, वेदिक ज्योतिष में हर अशुभ योग का उपाय उपलब्ध है। मंत्र जाप, रत्न धारण, पूजा–पाठ और दान आदि उपायों से ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके लिए अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेना ज़रूरी है।


प्रश्न 4: क्या कुंडली मिलान से धन और स्वास्थ्य की समस्याओं का समाधान मिल सकता है?

उत्तर:कुंडली मिलान से केवल विवाह ही नहीं, बल्कि जीवन की अन्य समस्याओं जैसे धन हानि, रोग, और मानसिक तनाव का भी आकलन और समाधान किया जा सकता है। इससे वैवाहिक जीवन की स्थिरता और सुख–संपन्नता सुनिश्चित होती है।


प्रश्न 5: अपनी कुंडली का विश्लेषण कहां कराएं?

उत्तर:अपनी जन्म कुंडली का सटीक विश्लेषण और योगों की पहचान के लिए और पाएं विशेषज्ञ ज्योतिषीय मार्गदर्शन।


निष्कर्ष


कुंडली के योग हमारे जीवन की संभावनाओं और चुनौतियों को पहले से ही संकेत देते हैं। यदि इन्हें सही समय पर समझ लिया जाए, तो हम धन हानि और स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं। कुंडली/kundali का गहरा विश्लेषण करवाकर आप अपने जीवन में आने वाली परेशानियों से पहले ही सजग हो सकते हैं।


वैदिक जीवन शैली और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए पढ़ें: Sanatana Dharma


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